तुम आधे हो, तुम्हें पूरा होना है || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)

2024-03-15 5

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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 21.9.19, अहमदाबाद, गुजरात , भारत

प्रसंग:
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥

मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवन-शक्ति हूँ ॥
~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 10, श्लोक 22)

~ उच्चतम इंद्री कौनसी?
~ मन अधूरेपन में क्यों जीता है?
~ हम इस अधूरेपन को कैसे दूर करें?
~ मन और चेतना में क्या अंतर है?
~ क्या मन हमारे अनुसार चलता है या यंत्रवत होता है सबकुछ?

संगीत: मिलिंद दाते
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